पानी

मैं हूँ पानी, मैं हूँ एक अनमोल रतन। जिससे तुम धोते, अपने बर्तन। तुम मेरे बिना रह नहीं सकते, मेरे मरने के बाद तुम दुनिया में वापस ला नहीं सकते । जब तक बहता हूँ , मैं ख़ुशियाँ बाटता हूँ। अगर रुक जाऊँ तो, दुख बाटता हूँ। रुकने तुम मगर मुझे, दोगे नहीं, वरना हम मिल्पायेंगे , कभी नहीं। मेरा नाम पूरी दुनिया में है, सागर,महासागर,नदी,तालाब। क्यूँकि मेरे जाने की बाद, तुम्हें लगेगा ख़राब। बचा सको तो बचा लो, दुनिया भर में, फ़ोन करके सबको यह बता दो। अगर मेरी परवा हैं तो, सबको यह समझा दो। मुझे तुम मत बहाना, क्यूँकि मेरे जाने की बाद तुम्हें नहीं मिलेगा कोई बाहाना। धन्यवाद पड़ने के लिए । कविता को लाइक करिएगा । विनायक गुप्ता।